डोनाल्ड ट्रंप का वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत के बाजार पर प्रभाव: एक विश्लेषण
डोनाल्ड ट्रंप का नाम आज वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक चर्चित नाम है। जनवरी 2017 में अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत से लेकर अब तक, उनकी नीतियों ने विश्व अर्थव्यवस्था को कई तरह से प्रभावित किया है। विशेष रूप से उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति, जिसमें व्यापार संरक्षणवाद और टैरिफ जैसे कदम शामिल हैं, ने न केवल अमेरिका बल्कि अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित किया। आज, अप्रैल 2025 तक, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में उनकी नीतियों का असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। इस लेख में हम ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत से लेकर अब तक उनकी नीतियों के वैश्विक प्रभाव और भारत पर इसके असर को डेटा के साथ समझने की कोशिश करेंगे।
ट्रंप का पहला कार्यकाल (2017-2021): वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
ट्रंप ने 20 जनवरी, 2017 को अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनकी आर्थिक नीतियों का आधार था “अमेरिका फर्स्ट”, जिसके तहत उन्होंने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए कई कदम उठाए। इनमें सबसे चर्चित था टैरिफ युद्ध, खासकर चीन के खिलाफ।
1. चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध:
– 2018 में, ट्रंप ने चीनी आयात पर 25% टैरिफ लगाया, जिसमें स्टील और एल्यूमीनियम जैसे उत्पाद शामिल थे। जवाब में, चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाया।
– परिणामस्वरूप, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार, 2018-19 में वैश्विक व्यापार वृद्धि 4.6% से घटकर 1.2% रह गई।
2. कर सुधार (टैक्स कट्स):
– दिसंबर 2017 में, ट्रंप प्रशासन ने कॉर्पोरेट टैक्स को 35% से घटाकर 21% कर दिया। इससे अमेरिकी कंपनियों में निवेश बढ़ा, लेकिन संघीय घाटा भी 2019 तक $984 बिलियन तक पहुंच गया (अमेरिकी ट्रेजरी डेटा)।
3. वैश्विक प्रभाव:
– ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों से यूरोपीय संघ, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों के साथ भी तनाव बढ़ा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2019 में अनुमान लगाया कि व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक जीडीपी को 0.8% का नुकसान हुआ।
दूसरा कार्यकाल (2025-): नई नीतियों का प्रभाव
ट्रंप ने जनवरी 2025 में दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभाला। इस बार उनकी नीतियां पहले से भी अधिक आक्रामक दिख रही हैं। उनकी नवीनतम टैरिफ घोषणाओं ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। 2 अप्रैल, 2025 को घोषित “लिबरेशन डे” टैरिफ योजना के तहत, ट्रंप ने कई देशों पर भारी शुल्क लगाने का ऐलान किया।
1. वैश्विक टैरिफ नीति:
– सभी देशों पर 10% का आधारभूत टैरिफ।
– भारत पर 26-27%, चीन पर 54%, वियतनाम पर 46%, और यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ।
– कनाडा और मैक्सिको पर 25% टैरिफ, जो अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं।
– विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने चेतावनी दी कि इससे 2025 में वैश्विक वस्तु व्यापार में 1% की कमी आ सकती है।
2. वैश्विक बाजारों पर असर:
– टैरिफ लागू होने के बाद, 3 अप्रैल, 2025 को अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। डाउ जोन्स 5.5% और नैस्डैक 5.73% नीचे बंद हुआ।
– वैश्विक स्तर पर, भारत का सेंसेक्स 930 अंकों की गिरावट के साथ 75,364 पर बंद हुआ, और निफ्टी 1.49% गिरकर 22,904 पर आ गया।
भारत पर ट्रंप की नीतियों का प्रभाव
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध गहरे हैं। 2023-24 में, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसमें भारत का कुल निर्यात का 18% और आयात का 6.22% हिस्सा अमेरिका से था। ट्रंप की नीतियों का भारत पर प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में देखा जा सकता है।
1. टैरिफ का असर:
– ट्रंप ने भारत पर 26-27% टैरिफ लगाया, जो 9 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा। इससे स्टील, एल्यूमीनियम, ऑटो पार्ट्स, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे।
– उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने अमेरिका को $10 बिलियन के रत्न और आभूषण निर्यात किए। नए टैरिफ से इस सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है।
– भारतीय आईटी क्षेत्र भी प्रभावित होगा, क्योंकि H-1B वीजा पर संभावित प्रतिबंध भारतीय पेशेवरों के लिए चुनौती बन सकता है।
2. शेयर बाजार पर प्रभाव:
– 3 अप्रैल, 2025 को टैरिफ घोषणा के बाद, निफ्टी आईटी इंडेक्स 4.21% गिर गया, जबकि फार्मा सेक्टर में 2.25% की तेजी देखी गई। इसका कारण यह है कि फार्मास्यूटिकल्स को टैरिफ से छूट दी गई है।
– सेंसेक्स में 806 अंकों की गिरावट ने निवेशकों में अनिश्चितता पैदा की।
3. सकारात्मक अवसर:
– ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अजय श्रीवास्तव के अनुसार, चीन और वियतनाम पर भारी टैरिफ भारत के लिए अवसर ला सकता है। टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में भारत अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।
– भारत का व्यापार अधिशेष (2023-24 में $35.32 बिलियन) इस संकट में लचीलापन दिखा सकता है।
4. मुद्रा और अर्थव्यवस्था:
– टैरिफ के कारण रुपया 87 के स्तर को पार कर गया, जिससे आयात महंगा हो सकता है। हालांकि, SBI की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के पहले कार्यकाल में रुपया केवल 11% कमजोर हुआ था, जो बाइडन के कार्यकाल से कम है।
डेटा के साथ विश्लेषण
– वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी: 1948 में 2.42%, 1991 में 0.51%, और 2023 में 1.5% (सिन्हा, “ग्लोबलाइजिंग इंडिया”)।
– अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष: 2019-20 में $17.26 बिलियन से 2023-24 में $35.32 बिलियन।
– जीडीपी पर प्रभाव: कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि ट्रंप के टैरिफ से भारत की जीडीपी पर 1.3%-2% का असर पड़ सकता है (X पोस्ट, @djshmbhu30)।
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने अपने पहले कार्यकाल से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, और अब उनके दूसरे कार्यकाल में यह प्रभाव और गहरा हो रहा है। भारत के लिए यह एक दोधारी तलवार है—एक तरफ टैरिफ और H-1B जैसे प्रतिबंध चुनौतियां ला रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव भारत के लिए नए अवसर खोल सकता है। सरकार और उद्योगों को मिलकर इन नीतियों का जवाब देना होगा, ताकि भारत न केवल इस संकट से उबर सके, बल्कि इसे अपने फायदे में भी बदल सके। “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” जैसी पहलें इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
अंत में, ट्रंप की नीतियां जितनी अनिश्चितता लाती हैं, उतना ही भारत के लिए अपनी आर्थिक रणनीति को मजबूत करने का मौका भी देती हैं। समय बताएगा कि भारत इस चुनौती को कैसे भुनाता है।